1914: नमो या मोना

ebook क्यों 2019 2014 नहीं है?

By अमित बगड़िया

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यह किताब चुनावी भारत का संक्षिप्त इतिहास कही जा सकती है. अच्छी तरह से शोध कर लिखी गई पुस्तक, जो प्रासंगिक डेटा बिंदुओं के साथ भारत की राजनीतिक यात्रा को प्रदर्शित करती है. चुनावी राजनीति और विशेषकर 2019 में ''कौन'' जैसे बड़े सवालों में दिलचस्पी रखने वालों के लिये बेहद प्रासंगिक. विस्तृत जानकारी से भरपूर और इसे जरूर अच्छे पाठक मिलेंगे.

अद्वैता काला

लेखिका: आलमोस्ट सिंगल, लगभग सिंगल, आलमोस्ट देयर

पटकथा लेखिका: अनजाना-अनजानी, कहानी, अनामिका

यह किताब वास्तव में अद्भुत रही. मुझे यह स्वीकारने में कोई हिचक नहीं कि बहुत साफगगोई से लिखी है. मुझे हमेशा से मालूम था कि अमित बगड़िया को सामयिक विषयों की विस्तृत जानकारी है और इस किताब में इसे समझदारी और विश्लेषण की गहराई के साथ पेश किया गया है.

भरत गोयनका

सॉफ्टवेयर इंजीलवादी, संस्थापक, टैली

पुस्तक बेहद संक्षिप्त है और कहीं भी विषय से भटकती नहीं है. जनता भूल जाती है या फिर बेहद आसानी से कोने में रख देती है के परिप्रेक्ष्य में राजनीतिक शासको पर पहली बार कुछ दिखाती है और ऐसी यादों को पुनर्जीवित करने में मदद करती है. उन युवाओं के लिये बेहद लाभप्रद जिन्हें अबतक कुटिल और रणनीति के तहत अबतक ऐसी तमाम जानकारी से दूर रखा गया है. यह वास्तव में बेहद जानकारीप्रद है और समय की आवश्यकता के अनुरूप है.

अमृता भिंदर

लेखक, कॉर्पोरेट अधिवक्ता और टीवी पैनलिस्ट

1914: नमो या मोना