Sign up to save your library
With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.
Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.
Search for a digital library with this title
Title found at these libraries:
Loading... |
मोतीलाल आलमचन्द्र ने एक काल्पानिक गाँव मधुमासगंज के मकानों में पद्मिनी, मदन, कानूनेराम, मलुआ, हालाप्रसाद, बद्रीप्रसाद, हल्लाप्रसाद, छप्पनसिंह, राधेलाल पटेल, गोदलीबाई, दल्लू, गजोधरसिंह, कुंअरसिंह, कल्लो, सत्यवती, आदि पात्रों को उनकी सामाजिक एवं आर्थिक हैसियत अनुसार बसाया है। उपन्यास में तीन कथा परिदृश्य पटल पर उभरते हैं और साथ-साथ सामाजिक ताने-बाने तथा राजनैतिक और प्रशासनिक व्यवस्था को भेदते चलते हैं। कहानी गाँव की चौपालों के अलाव को घेरे बैठे लोगों की बातों से लेकर छप्पनसिंह की अटारी तक चढ़ती उतरती रहती है। हल्लाप्रसाद का सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाने और कानूनेराम की थाने और हाकिमों के मातहतों से नजदीकियाँ उपन्यास में जीवटता प्रदान करती है। 'मधुमासगंज' का कथानक सामाजिक यथार्थ की कड़वी सच्चाई के साथ समसामयिक गाँव की कुरूप व्यवस्था पर हमला करता है। उपन्यासकर ने यथार्थ में जो देखा, सुना, महसूस किया उसे व्यंग्य की चाशनी में डुबो कर उजागर करने के साथ साथ राजनैतिक तंत्र-प्रपंचो पर खुलकर प्रहार किया है। सामाजिक तंत्र की कडवी सच्चाई को महसूस करते ही पाठक आपने आपको कहीं न कहीं कथानक का हिस्सा समझने लगता है।