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यदि हमारे लक्ष्य सबके लिए प्रेरणादयक होंगे तो वे हम सब के जीवन के पथ का निर्देश करते हैं। जीवन में साहस करने की सामर्थ्य, उसके साथ धैर्य और सही दिशा में शिक्षण और अपने आप पर विश्वास, फिर इसके साथ दृढ़ संकल्प हो तो हम उच्च शिखरों तक पहुँच सकते हैं । 'पाकाला तंडा' में जन्म लेने वाली 'मालावत पूर्णा' ऐसे उच्च शिखरों तक पहुँच गई है। उसने यह बताया है कि अंधकार से प्रकाश प्राप्त करने की दिशा में यात्रा करने के लिए क्या-क्या करना चाहिए। हमें उसने एवरेस्ट पर्वत के शिखर पर पहुँचते हुए यह बताया है कि हमें किस तरह की शक्ति को प्राप्त करने की आवश्यकता है। उसने यह भी बताया है कि हम अपने प्रवृत्तियों को सकारात्मक बनाले तो हम किस तरह से जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं । पूर्णा ने यह भी निरूपित किया कि इस तरह करने के लिए हमने समाज की ओर से जिन जातिपरक असमानताओं का विकास किया था वे कोई बाधक तत्त्व नहीं बनेंगे। हम सब में उसने आत्मविश्वास भर दिया था । पूर्णता के लक्ष्य को उसने साकार किया।
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णाप्तूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवाव शिष्यते ।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।
ईसावास्योपनिषद् के शांतिमंत्र के सार को उसने साकार किया ।
'पूर्णा' में असीम शक्ति है । उससे असीम प्रेरणा सब को मिलती है । असीम शक्तिमति के रूप में केवल वही इसतरह की प्रेरणा हमें दे सकती है । उसका शुभ हो।
आचार्य रायवरपु श्री सर्राजु
सम-कुलपति,
हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद